नई दिल्ली, शुक्रवार: अमेरिकी डॉलर सूचकांक की कमजोरी और घरेलू शेयर बाजारों की मजबूती के सहारे भारतीय रुपया शुक्रवार को अपने सर्वकालिक निचले स्तर से सुधरकर सात पैसे मजबूत होकर 88.28 प्रति डॉलर (अस्थायी) पर बंद हुआ।
विदेशी मुद्रा कारोबारियों का कहना है कि रुपया अब भी सीमित दायरे में बना हुआ है और अपने निचले स्तर के आसपास ही कारोबार कर रहा है। अमेरिका द्वारा भारतीय निर्यात पर शुल्क और विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की लगातार बिकवाली निवेशक धारणा को प्रभावित कर रही है।
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 88.39 पर खुला और कारोबार के दौरान 88.42 तक कमजोर हुआ। सत्र के अंत में यह थोड़ा सुधरकर 88.28 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। गुरुवार को रुपया 24 पैसे लुढ़ककर 88.35 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बंद हुआ था और कारोबार के दौरान 88.49 तक गिरा था।
मिराए एसेट शेयरखान के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा, “अमेरिकी डॉलर की कमजोरी और फेडरल रिजर्व की अगली बैठक में दर कटौती की उम्मीद से वैश्विक स्तर पर जोखिम उठाने की क्षमता बढ़ सकती है, जिससे रुपया थोड़ी मजबूती पा सकता है।”
उन्होंने जोड़ा कि 2025 में 0.75 प्रतिशत तक ब्याज दरों में कटौती की संभावना है, लेकिन एफआईआई की बिकवाली और भारत-अमेरिका व्यापार शुल्क विवाद रुपये की रफ्तार पर रोक लगा सकते हैं।
कारोबारी अनुमान के मुताबिक डॉलर-रुपया दर निकट भविष्य में 88 से 88.50 के बीच रह सकती है।
इस बीच, डॉलर सूचकांक 0.22 प्रतिशत चढ़कर 97.74 पर पहुंच गया, जबकि ब्रेंट क्रूड वायदा 0.65 प्रतिशत बढ़कर 66.80 डॉलर प्रति बैरल पर रहा। घरेलू शेयर बाजारों में सेंसेक्स 355.97 अंक चढ़कर 81,904.70 पर और निफ्टी 108.50 अंक बढ़कर 25,114 पर बंद हुआ। आंकड़ों के अनुसार, विदेशी निवेशकों ने गुरुवार को 3,472.37 करोड़ रुपये के शेयरों की शुद्ध बिकवाली की।