महाराष्ट्र में BMC चुनाव से पहले गरमाया विवाद: सिद्धारमैया की सिफारिश से कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ीं

महाराष्ट्र में आगामी बीएमसी चुनावों से पहले राजनीति अचानक गरमा गई है। बीजेपी को बैठे-बैठाए एक बड़ा मुद्दा मिल गया है और यह मुद्दा कांग्रेस की ही गलती से पैदा हुआ है। दरअसल, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बेंगलुरु के शिवाजीनगर मेट्रो स्टेशन का नाम सेंट मैरी रखने की सिफारिश की थी। इस कदम ने न केवल कर्नाटक में हंगामा मचाया बल्कि महाराष्ट्र में भी इसे छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान बताया जा रहा है।

बीजेपी ने इस मामले को तुरंत लपक लिया और इसे बीएमसी चुनाव से जोड़कर भुनाने की तैयारी कर ली। खुद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस मुद्दे पर आक्रामक रुख अपनाते हुए मैदान में उतर आए हैं।


कांग्रेस पर दबाव, शिवसेना (UBT) बैकफुट पर

बीएमसी चुनावों को लेकर कांग्रेस पहले ही दबाव में थी। अब इस विवाद ने उसकी मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। बीजेपी इसे “तुष्टिकरण की राजनीति” करार देकर जनता के बीच मुद्दा बना रही है। वहीं कांग्रेस की सहयोगी पार्टी शिवसेना (UBT) भी बैकफुट पर दिख रही है, क्योंकि वह हमेशा से शिवाजी महाराज के नाम और मराठा अस्मिता की राजनीति करती रही है।

जानकारों के मुताबिक, यह विवाद बीजेपी को शिवसेना (UBT) को घेरने का मौका भी देगा। चूंकि कांग्रेस और शिवसेना (UBT) महाविकास अघाड़ी (MVA) का हिस्सा हैं, बीजेपी इस मामले को उनके खिलाफ मराठा वोट बैंक में इस्तेमाल कर सकती है।


विवाद की शुरुआत कैसे हुई?

यह विवाद तब शुरू हुआ जब 8 सितंबर को सेंट मैरी बेसिलिका के वार्षिक उत्सव में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि उन्होंने केंद्र सरकार को स्टेशन का नाम सेंट मैरी रखने की सिफारिश की है। यह मांग कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद की ओर से आई थी, जो चर्च को ऐतिहासिक सम्मान देने का प्रयास कर रहे थे।

लेकिन बीजेपी ने तुरंत इसे शिवाजी महाराज का अपमान बताते हुए कांग्रेस पर हमला बोला।

  • देवेंद्र फडणवीस ने इसे कांग्रेस की पुरानी परंपरा बताया और कहा कि यह तुष्टिकरण नेहरू काल से चला आ रहा है।
  • महाराष्ट्र बीजेपी की नेता चित्रा वाघ ने आरोप लगाया कि कांग्रेस की शिवाजी महाराज के प्रति नफरत उजागर हो गई है।
  • कर्नाटक बीजेपी के नेता चालवाड़ी नारायण स्वामी ने सवाल उठाया कि क्या कांग्रेस शिवाजीनगर का नाम ही मिटाना चाहती है?

बीजेपी को मिला चुनावी हथियार

बीएमसी, एशिया की सबसे अमीर नगर निगम मानी जाती है और इसके चुनाव हमेशा बेहद अहम रहते हैं। बीजेपी और शिंदे की शिवसेना इस विवाद को जोर-शोर से उठा रही हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि कांग्रेस पर अब “मुस्लिम तुष्टिकरण” का ठप्पा लगना तय है, जिससे MVA की स्थिति कमजोर हो सकती है।


शिवसेना (UBT) की सफाई

दबाव में आई शिवसेना (UBT) ने सिद्धारमैया को पत्र लिखने का ऐलान किया है, जिसमें स्टेशन का नाम छत्रपति शिवाजी रखने की मांग की जाएगी। पार्टी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा कि जनता की भावनाओं का सम्मान होना चाहिए और बीजेपी पर पलटवार करते हुए सवाल किया कि अरब सागर में शिवाजी की प्रतिमा का काम आज तक क्यों अटका है।


निष्कर्ष

कुल मिलाकर, सिद्धारमैया की एक साधारण सिफारिश महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन गई है। बीजेपी ने इसे तुरंत हथियार बना लिया है और बीएमसी चुनाव में कांग्रेस और MVA के लिए यह गंभीर नुकसान का कारण बन सकता है। महाराष्ट्र की राजनीति में छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम हमेशा से भावनात्मक और निर्णायक रहा है। ऐसे में अगर MVA एकजुट होकर रणनीति नहीं बनाती, तो बीजेपी इस मुद्दे का भरपूर फायदा उठाएगी।

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