जीजामाता महिला सहकारी बैंक का लाइसेंस रद्द, आरबीआई ने उठाया सख्त कदम

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने महाराष्ट्र के सतारा जिले में स्थित जीजामाता महिला सहकारी बैंक का बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह निर्णय बैंक की लगातार बिगड़ती वित्तीय स्थिति और आय सृजन की अक्षमता को देखते हुए लिया गया। गौरतलब है कि यह बैंक पहले भी 2016 में अपना लाइसेंस गंवा चुका था, जिसे 2019 में पुनः बहाल किया गया था। लेकिन वित्तीय सुधार न होने के कारण आरबीआई को दोबारा हस्तक्षेप करना पड़ा।

फोरेंसिक ऑडिट में बाधा, बैंक का रवैया बना चुनौती

आरबीआई ने 2013-14 के लिए बैंक की आर्थिक स्थिति की जांच हेतु फोरेंसिक ऑडिटर नियुक्त किया था। हालांकि, बैंक की ओर से अपेक्षित सहयोग न मिलने के कारण ऑडिट प्रक्रिया अधूरी रह गई। उपलब्ध आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ कि बैंक की वित्तीय सेहत लगातार गिर रही थी, जिससे नियामक संस्था को कठोर निर्णय लेना पड़ा।

बैंकिंग सेवाएं तत्काल प्रभाव से बंद, जमाकर्ताओं की निकासी पर रोक

लाइसेंस रद्द होने के साथ ही बैंक को सभी प्रकार की बैंकिंग गतिविधियों से रोक दिया गया है। अब न तो बैंक नए जमाओं को स्वीकार कर सकेगा और न ही मौजूदा ग्राहकों को उनकी जमा राशि निकालने की अनुमति दी जाएगी। महाराष्ट्र के सहकारी समितियों के पंजीयक को बैंक को बंद करने के निर्देश दिए गए हैं और परिसमापक नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।

DICGC के तहत 5 लाख रुपये तक की बीमा सुरक्षा

बैंक के बंद होने के बाद, जमाकर्ता जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (DICGC) के माध्यम से अधिकतम ₹5 लाख तक का दावा कर सकेंगे। आरबीआई के अनुसार, सितंबर 2024 तक बैंक की कुल जमा राशि का 94.41% बीमा सुरक्षा के दायरे में था। हालांकि, बैंक की कमजोर वित्तीय स्थिति के कारण सभी जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान मिलना संभव नहीं होगा।

जनहित में लिया गया निर्णय: RBI

रिजर्व बैंक ने स्पष्ट किया है कि यदि बैंक को संचालन की अनुमति दी जाती, तो इससे जनहित को गंभीर नुकसान पहुंच सकता था। इसलिए, वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और ग्राहकों के हितों की रक्षा के लिए यह कदम उठाया गया। परिसमापन की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ प्रशासनिक स्तर पर संचालित की जाएगी।

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