अमेरिका में आम जनता की जेब पर महंगाई का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है। फेडरल रिजर्व की तमाम कोशिशों के बावजूद अगस्त 2025 में महंगाई दर एक बार फिर उछाल के साथ सामने आई है। खासतौर पर ग्रॉसरी और रोज़मर्रा की ज़रूरी चीज़ों की कीमतें बढ़ने से आम परिवारों का मासिक बजट गड़बड़ा गया है।
क्या कहता है डेटा?
- अगस्त 2025 महंगाई दर: सालाना आधार पर 2.9% की वृद्धि (जुलाई में 2.7%)
- ग्रॉसरी महंगाई: मासिक आधार पर 0.6% की बढ़ोतरी, सालाना 2.4% महंगा राशन
- USDA का अनुमान: 2025 में ग्रॉसरी कीमतें 3.3% तक बढ़ सकती हैं
अब क्या-क्या हुआ महंगा?
| सामान | वर्तमान दाम (₹ में) | सालाना वृद्धि (%) |
|---|---|---|
| अंडा (1 दर्जन) | ₹300 | 12% ↑ |
| दूध (1 गैलन / 3.8 लीटर) | ₹350 | — |
| चिकन (1 पाउंड / 453g) | ₹175 | 4.4% ↑ |
| ब्रेड (1 पाउंड) | ₹155 | — |
| आलू (1 पाउंड) | ₹84 | — |
| चावल (1 पाउंड) | ₹89 | — |
| केला (1 पाउंड) | ₹56 | 8.8% ↑ |
| बीफ (1 पाउंड) | ₹557 | — |
खर्च बढ़ा, सैलरी वही
अब एक औसत अमेरिकी परिवार हर महीने लगभग $900 (₹75,600) सिर्फ ग्रॉसरी पर खर्च कर रहा है। लेकिन आय में खास वृद्धि न होने के कारण मध्यम वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहा है।
क्या ट्रंप टैरिफ ज़िम्मेदार?
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियां, खासकर “रिसिप्रोकल टैरिफ्स”, महंगाई पर बड़ा असर डाल रही हैं। चीन, भारत और यूरोपीय देशों से आयात महंगा होने के कारण घरेलू सप्लाई चेन पर दबाव बढ़ा है और कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है।
कुल मिलाकर, अमेरिकी जनता की रसोई पर महंगाई की मार तेज़ होती जा रही है और आने वाले महीनों में यह बोझ और बढ़ सकता है।